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Wednesday 26 October 2011

सोचता हूँ कई दफा फुर्सत में बैठकर



सोचता हूँ कई दफा फुर्सत में बैठकर
तेरा प्यार तेरी यादें होती ना अगर
फिर किसके सहारे जिंदगी जीते हम
चलता धडकनों के संग किसका गम

आँखों में तस्वीर किसकी बस्ती दोस्तों
मिट जाती आशिकों की हस्ती दोस्तों
होता नही गर कहीं यादों का मौसम
फिर किसके सहारे ..................

हुश्न की भी फिर कोई तारीफ ना करता
यहाँ एक हंसी के लिए ना कोई मचलता
बनाता नही गर किसी को कोई हमदम
फिर किसके सहारे ........................

हर खूबसूरत शै भी बेकार सी लगती
रात भर आँखें ना किसी के लिए जगती
वजूद ढूंढ़ती फिरती फिर अपना शबनम
फिर किसके सहारे ............................

वो दर्द मीठा-मीठा फिर आता कहाँ से
आहों का अहसास हमें सुहाता कहाँ से
बेचैन होकर ना कोई खाता फिर कसम
फिर किसके सहारे .........................



खैर नहीं सुन लो तुम्हारी भ्रस्त्ताचारियों

खैर नहीं सुन लो तुम्हारी भ्रस्त्ताचारियों
लड़ने की हो गई हैं तैयारी भ्रस्त्ताचारियों
करेंगे अब खुलासा करेंगे अब खुलासा ............................

भूखमरी खुदगर्जी जो तुमने फैलाई हैं
रिस्प्त्खोरी की जो तुमने हवा चलाई हैं
उस हवा पर नजर हमारी भ्रस्त्ताचारियों
करेंगे अब खुलासा, करेंगे अब खुलासा ............................

सबके सपने सच होंगे सबकी होगी जीत
रोज खुलासे होने से गूंजेंगे प्यार के गीत
 होगी छवि देश की न्यारी भ्रस्ताचारियों
करेंगे अब खुलासा, करेंगे अब खुलासा ............................

वसुधैव कुटुम्बकम का नारा सब लाओ
अन्ना जी की राह पकड देश के हो जाओ
अब जाग गई जनता सारी भ्रस्ताचारियों
करेंगे अब खुलासा, करेंगे अब खुलासा ............................

आओ शहीदों के सपनों को पूरा हम कर दें
भारत माँ की दुःख तकलीफें सारी ही हर दें
बेचैन होने की तुम्हारी बारी भ्र्स्ताचारियों
करेंगे अब खुलासा, करेंगे अब खुलासा ............................




एक प्यार स्कूली को खड़ा सामने पाता हूँ

बचपन से जवानी तक जब नजरें दौड़ाता हूँ
एक प्यार स्कूली को खड़ा सामने पाता हूँ

नही भूला हूँ दोनों ही हम उमर के कच्चे थे
अहसास में पर यारों हम बिलकुल सच्चे थे
बंद करता हूँ जब आँखें कही खो सा जाता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................

उस जैसी सादगी और मुस्कान नही देखी
कहने को तो दुनिया में खूब निगाह फेंकी
हाय उसकी नजाकत पर सर को झुकाता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................

रातों को उठ उठ कर मैंने रोकर भी देखा हैं
तन्हाइयों में सिसकी का होकर भी देखा हैं
नहीं कुछ भी हुआ हासिल यारों पछताता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................

कितना ही मेरे दाता मेरे हिस्से कयामत दे
याददाश्त को भी बेशक कोई भी आफत दे
पर पाठ महोब्बत का नही भूलना चाहता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................

नही बात अकेले की मैं सबकी करता हूँ
इल्जाम महोब्बत का हर सर पे धरता हूँ
यहाँ बेचैन हैं हर कोई सरेआम बताता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................