पागल तो ना थे वक्त ने पागल बना दिया
जग सो रहा है मुझको ये किसने जगा दिया
रिश्तों की भीड़ देख ली देखा जमाने को
तैयार है एक दूजे की शमा बुझाने को
जिसको भी देखा खोया है वो अपनी दुनिया में
जी भरके हमको लूटा है अपनी तमन्ना ने
हाय रे रोग दिल को ये किसने लगा दिया
पागल तो ना थे ....................................
अपनी ही लाश काँधे पे सब लादे हुवे है
इस जिंदगी के मौत से कुछ वादे हुवे है
किस्मत की लकीरों का मोहरा बने है हम
कहने को जिंदा है मगर आँखों में नही दम
जीते जी कब्र में मुझे किसने सुला दिया
पागल तो ना थे ....................................
रिश्ते नाते बंटते थे सुनते थे कभी से
इंसान बंट गये है सुना है ये अभी से
ना जाने क्या क्या देखेंगे जीते जी दोस्तों
कोई ऐसा जतन बतला दो पा ले मौत को
अ आसमान तेरा हमने क्या बुरा किया
पागल तो ना थे ....................................
खुशियों को तरसती है आज आँखे सभी की
आंसू से नही खून से क्यूं पलकें है भीगी
इक आग सुलगती है आज सबके सीने में
है कौन वो जिसको मजा आया हो जीने में
बेचैन जिंदगी ने ये अच्छा सिला दिया
पागल तो ना थे ....................................