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Thursday, 22 December 2011

नया साल आने से पहले ही आपको मुबारकबाद दे रहा हूँ कबूल कीजिये




कामयाबियो का एक सिलसिला मिले
नया साल तुझे फूल जैसा खिला मिले

  
आँखों में रहे चमक होठों पर मुस्कान
ख़ुशी के लम्हे तुझपर हो जाए कुर्बान
तुझसे किसी को भी कुछ ना गिला मिले
नया साल तुझे .....................

व्यपार हो या इश्क रहे खूब मुनाफ़ा
शोहरत में दिनों दिन होवे इजाफा
ख़्वाबों को हकीकत का काफिला मिले
नया साल तुझे .....................

यार- दोस्तों में और रिश्तेदारों में
तेरी ही तारीफ हो चाँद सितारों में
वफाओ का तुझे मुस्कुराता सिला मिले
नया साल तुझे .....................

कमीनो से तेरा ना कभी वास्ता पड़े
ना बात तेरी काटने को कोई भी अड़े
बेचैन सा हर शख्स तुझको भला मिले
नया साल तुझे .....................

Tuesday, 20 December 2011

बोलो तो बनके मुर्गा दो- चार बांग दू

जो तुम कहोगी वैसे मैं माफ़ी मांग लू
बोलो तो बनके मुर्गा दो- चार बांग दू

गलती है मेरी इतनी तुझे जां बना लिया
हरदम उठे सांसों से वो धुआं बना लिया
समझाने को तुमको कोलावेरी सॉंग दू
बोलो तो बनके मुर्गा दो............

महसूस करो मुझको खुद में सिमट कर
ये प्यार हमारा है दुनिया से ही हट कर
खोने की आरज़ू हो तो ख्यालों की भांग दू
बोलो तो बनके मुर्गा दो..................

जो तैर रहे है तुम्हारी आँखों में सवाल
सबका जवाब दूंगा मन में ना ला भूचाल
यकीं नही तो खुद को ला सूली पे टांग दूं
बोलो तो बनके मुर्गा दो...............


बस खुद पर भरोसा रखिये विश्वास बढ़ेगा
मेरा भी दिल में अहसास कुछ ख़ास बढ़ेगा
या एग्जाम्पल बेचैन कुछ उट पटांग दूं
बोलो तो बनके मुर्गा दो..................

Monday, 19 December 2011

मैंने देख लिया है खुदा रहता है जमीं पर

मैंने देख लिया है खुदा रहता है जमीं पर
हाँ महसूस किया हैं मैंने उसको यही पर

दे बैठे है हम तो जुल्फों को गिरफ्तारी
नही चाहते जमानत हम अब उम्र सारी
है आरज़ू अब तो मैं दम तोडू यही पर
हाँ महसूस किया हैं........................

वो ताज नही कुछ भी तेरे हुश्न के आगे
और चाँद चमकने की तुझसे दुआ मांगे
असर तेरा होता है महफ़िल में सभी पर
हाँ महसूस किया हैं................

तुम औंस का मोती हो मुझको ये खबर है
कही खो ना दूं तुमको इसी बात का डर है
लिख दी है कई गजले मैंने तेरी हंसी पर
हाँ महसूस किया हैं........................

चले साँस मेरी जब तक तुम याद रहोगे
मेरे इश्क की जीते जी बुनियाद रहोगे
बेचैन जहाँ भर में चाहे रहूँ मैं कही पर
हाँ महसूस किया हैं........................




हालाकि मैंने ऑनलाइन बड़े ही गहरे रिश्ते को पाया है, मगर मेरे एक दोस्त की फरमाइस पर फेंक आई डी वालो के लिए एक गीत देखिएगा .......



मुझे जितना खोजोगी मैं उतना खो जाऊंगा 
फेसबुक का फ्रेंड हूँ फेस टू फेस ना आउंगा

मैं तुम्हारे कमेंट्स पर सब नजरे रखता हूँ
करती हो क्या क्या लाइक खबरे रखता हूँ
पर अपनी सी आई डी तुझे ना बतलाऊंगा ,,,,,,,,,,
फेसबुक का फ्रेंड हूँ.....................

जानेमन दिल से तुम मेरा ख्याल निकाल दो
जो हम दोनों में  है उस पर मिटटी डाल दो
नही मानोगी तो तुझको अनफ्रेंड कर जाऊंगा
फेसबुक का फ्रेंड हूँ.....................

नही कामयाब होती है यह ऑनलाइन सेटिंग
छोड़ डार्लिंग इश्क महोब्बत की करना बैटिंग
तेरी जुल्फों की चैटिंग में मैं उलझ ना पाउँगा
फेसबुक का फ्रेंड हूँ.....................

अब एक बात आखरी सुन मैं ना कोई हैंडसम
तुम भी मोटी हो वेट तुम्हारा नही मुझसे कम
मैं बेचैन झूठी आई डी से ना इश्क लड़ाउंगा
फेसबुक का फ्रेंड हूँ.....................


Tuesday, 13 December 2011

हल्का-हल्का उसने यो किसा बुखार दिया

ज़ज्बात का छिलका-छिलका उतार दिया
हफ्ते भर में बैरण नै रगडा मार दिया

खड़ा जूत बाजे सै इब दिलो-दिमाग का
ना मालूम उसने यो किसा इकरार दिया

फडफडाता रहवे सै एक उम्मीद का दीवा
जिंदगी भर का उसने खूब इंतजार दिया

उम्र भर दोस्तों इब नही उतरेगा कदे भी
हल्का-हल्का उसने यो किसा बुखार दिया

क्यूं नही करू मैं अपनी तकदीर पै गरूर
इतना खूबसूरत जिसने धांसू यार दिया

जन्म सुधरग्या सै उस माणस का बेचैन
रामजी नै महबूब जिसते समझदार दिया

Friday, 2 December 2011

व्यवस्था बदल रही है

बसंती का है गब्बर यार
पप्पू पास होवे हर बार
व्यवस्था बदल रही है
आदमी को छल रही है ............

नीतिया है जितनी सरकारी
सब आम आदमी पर भारी
हक के लिए हर कोई रोता है
चुप रहना सबकी लाचारी
कण-कण में है भ्रष्टाचार
जिंदगी हो गई है दुश्वार
व्यवस्था बदल रही है
आदमी को छल रही है ............

यह  तेरा है यह मेरा है
खुदगर्जी ने सबको घेरा है
है रात अँधेरी दूर तलक
ना सोच में अब सवेरा है
हर सांस हुई है बेज़ार
बेबसी में सारा संसार
व्यवस्था बदल रही है
आदमी को छल रही है ............

आँखों में शर्म और लाज नही
कही सुंदर स्वस्थ समाज नही
इक शख्स का नाम बता दो तुम
लालच की जिसके खाज नही
लूटकर सब खाने को तैयार
रक्षक जिसमे हिस्सेदार
व्यवस्था बदल रही है
आदमी को छल रही है ............

बेचैन है हर रिश्ते नाते
रहते है सारे पछताते
क्या हुआ आदमी को दाता
इंसा को इंसा नही भाते
जानवर सा बदत्तर व्यवहार
चील,गिद्ध कौवे रिश्तेदार
व्यवस्था बदल रही है
आदमी को छल रही है ............



Wednesday, 26 October 2011

सोचता हूँ कई दफा फुर्सत में बैठकर



सोचता हूँ कई दफा फुर्सत में बैठकर
तेरा प्यार तेरी यादें होती ना अगर
फिर किसके सहारे जिंदगी जीते हम
चलता धडकनों के संग किसका गम

आँखों में तस्वीर किसकी बस्ती दोस्तों
मिट जाती आशिकों की हस्ती दोस्तों
होता नही गर कहीं यादों का मौसम
फिर किसके सहारे ..................

हुश्न की भी फिर कोई तारीफ ना करता
यहाँ एक हंसी के लिए ना कोई मचलता
बनाता नही गर किसी को कोई हमदम
फिर किसके सहारे ........................

हर खूबसूरत शै भी बेकार सी लगती
रात भर आँखें ना किसी के लिए जगती
वजूद ढूंढ़ती फिरती फिर अपना शबनम
फिर किसके सहारे ............................

वो दर्द मीठा-मीठा फिर आता कहाँ से
आहों का अहसास हमें सुहाता कहाँ से
बेचैन होकर ना कोई खाता फिर कसम
फिर किसके सहारे .........................



खैर नहीं सुन लो तुम्हारी भ्रस्त्ताचारियों

खैर नहीं सुन लो तुम्हारी भ्रस्त्ताचारियों
लड़ने की हो गई हैं तैयारी भ्रस्त्ताचारियों
करेंगे अब खुलासा करेंगे अब खुलासा ............................

भूखमरी खुदगर्जी जो तुमने फैलाई हैं
रिस्प्त्खोरी की जो तुमने हवा चलाई हैं
उस हवा पर नजर हमारी भ्रस्त्ताचारियों
करेंगे अब खुलासा, करेंगे अब खुलासा ............................

सबके सपने सच होंगे सबकी होगी जीत
रोज खुलासे होने से गूंजेंगे प्यार के गीत
 होगी छवि देश की न्यारी भ्रस्ताचारियों
करेंगे अब खुलासा, करेंगे अब खुलासा ............................

वसुधैव कुटुम्बकम का नारा सब लाओ
अन्ना जी की राह पकड देश के हो जाओ
अब जाग गई जनता सारी भ्रस्ताचारियों
करेंगे अब खुलासा, करेंगे अब खुलासा ............................

आओ शहीदों के सपनों को पूरा हम कर दें
भारत माँ की दुःख तकलीफें सारी ही हर दें
बेचैन होने की तुम्हारी बारी भ्र्स्ताचारियों
करेंगे अब खुलासा, करेंगे अब खुलासा ............................




एक प्यार स्कूली को खड़ा सामने पाता हूँ

बचपन से जवानी तक जब नजरें दौड़ाता हूँ
एक प्यार स्कूली को खड़ा सामने पाता हूँ

नही भूला हूँ दोनों ही हम उमर के कच्चे थे
अहसास में पर यारों हम बिलकुल सच्चे थे
बंद करता हूँ जब आँखें कही खो सा जाता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................

उस जैसी सादगी और मुस्कान नही देखी
कहने को तो दुनिया में खूब निगाह फेंकी
हाय उसकी नजाकत पर सर को झुकाता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................

रातों को उठ उठ कर मैंने रोकर भी देखा हैं
तन्हाइयों में सिसकी का होकर भी देखा हैं
नहीं कुछ भी हुआ हासिल यारों पछताता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................

कितना ही मेरे दाता मेरे हिस्से कयामत दे
याददाश्त को भी बेशक कोई भी आफत दे
पर पाठ महोब्बत का नही भूलना चाहता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................

नही बात अकेले की मैं सबकी करता हूँ
इल्जाम महोब्बत का हर सर पे धरता हूँ
यहाँ बेचैन हैं हर कोई सरेआम बताता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................