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Tuesday 13 December 2011

हल्का-हल्का उसने यो किसा बुखार दिया

ज़ज्बात का छिलका-छिलका उतार दिया
हफ्ते भर में बैरण नै रगडा मार दिया

खड़ा जूत बाजे सै इब दिलो-दिमाग का
ना मालूम उसने यो किसा इकरार दिया

फडफडाता रहवे सै एक उम्मीद का दीवा
जिंदगी भर का उसने खूब इंतजार दिया

उम्र भर दोस्तों इब नही उतरेगा कदे भी
हल्का-हल्का उसने यो किसा बुखार दिया

क्यूं नही करू मैं अपनी तकदीर पै गरूर
इतना खूबसूरत जिसने धांसू यार दिया

जन्म सुधरग्या सै उस माणस का बेचैन
रामजी नै महबूब जिसते समझदार दिया

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